Hindi (Modern Indian Language)
Paper: AECC – 2 MIL HINDI Syllabus
हिन्दी काव्य एवं गद्य साहित्य
BA/B.Com/BSC 1st Sem
काव्य सुषमा:
१. नदी के द्वीप
२. लेखक की स्वतंत्रता
३. आंसू
पद:
१. कबीर दास
a) मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वासों की स्वास में॥
b) मन, मस्त हुआ फिर क्या बोले, क्या बोले फिर क्योँ बोले |
हीरा पाया बांध गठरिया हे, बार बार वाको क्यों खोले |
हलकी थी जब चढ़ी तराजू हे, पूरी भई तब क्या तोलै |
हंसा पावे मानसरोवर हे, ताल तलैया में क्यों डोले |
तेरा साहब है घर माँहीं हे बाहर नैना क्यों खोलै |
कहै कबीर सुनो भाई साधो हे साहिब मिल गया तिल ओले |
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२. सूरदास
a) किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत । मनिमय कनक नंद कै आँगन, बिंब पकरिबैं धावत ॥
कबहुँ निरखि हरि आपु छाहँ कौं, कर सौं पकरन चाहत ।
किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत ॥
कनक-भूमि पद कर-पग-छाया, यह उपमा इक राजति ।
करि-करि प्रतिपद प्रति मनि बसुधा, कमल बैठकी साजति ॥
बाल-दसा-सुख निरखि जसोदा, पुनि-पुनि नंद बुलावति ।
अँचरा तर लै ढाँकि, सूर के प्रभु कौं दूध पियावति ॥
b) बिनु गोपाल बैरिनि भई कुंजै। 2021
तब वै लता लगति अति सीतल,
अब भई विषय ज्वाल की पुंजै।
वृथा वहति यमुना खग बोलत,
वृथा कमल फूलहिं अलि गुंजै।
पवन, पानि, घनसार, सजीवन, दधिसुत किरन भानु भई भुंजै।
ये ऊधौ कहियो माधो सौ, विरह कदन करि मारत लुंजै।
३. तुलसीदास
a) सीस जटा, उर बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछीसी भौंहैं। 2019
तून, सरासन, बान धरे, तुलसी बन-मारग में सुठि सोहैं॥
सादर बारहिं बार सुभाय चितै तुम त्यों* हमरो मन मोहैं।
पुँछति ग्रामवधू सिय सों “कही साँवरे से, सखि! रावरे को हैं”॥
b) सुमि सुन्दर नैर सुधारस-साने, सयानी है जानकी जानी भली।
तिरछे करि नेन दै सैन तिन्है समुझाई मुस्कान चली ।।
तुलसी तेहित औसर सो है सवै अवलोकति लोचन-लाह अली ।
अनुराग-तड़ाग में मान उदै विगसी मनों मंजुल कंज कली।।
कथा कहानी:
१. चीफ की दावत
२. यही सच हैं
३. पच्चीस चौका डेढ़ सौ
निबंध लेखन
२. भारत की सांस्कृतिक एकता
३. कछुआ धरम