HINDI QUESTION PAPERS 2014
[AHSEC Class 12 Hindi Question Paper 2014]
1. निम्नलिखित काव्यांष को पढ़कर उसके निचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
तुम मेरे अपने हो, रहते हो प्रिय मेरे पास
आज बात यह कह लेने दो, कह लेने दो।
तुममें मेरे जीवन की सारी खुषियों का वास
आज बात यह कह लेने दो, कह लेने दो।
यह धरती आकाष निखिल यह
तुमसे प्राण्वन्त है अहरह।
हृदय खोलकर कह लेने दो, कह लेने दो।
दुखिया जान पास हो आते
लघु हूँ, इसलिए अपनाते
छोटे मुँह यह कह लेने दो, कह लेने दो।
प्रश्न:
(क) कवि ने यहाँ ’तु’ किसे कहा है?
(ख) सारी धरती और आकाष किससे प्राणवन्त बने हुए है ?
(ग) कवि ने स्वयं को क्यों ’लधु‘ कहा है?
(घ) यहाँ ’तुम‘ की महिमा के बारे में क्या कहा गया है?
(ङ) प्रस्तुत कवितांष का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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1. AHSEC HINDI QUESTION PAPERS' 2014
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2. निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर उसके नीचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
धर्म को लोगों ने धोखे की टट्टी बना रखा है। वे उसकी आड़ में स्वार्थ सिद्व करते हैं। बात यह है कि लोग धर्म को छोड़कर सम्प्रदाय के जाल में फँस रहे हैं। सम्प्रदाय बाह्य कृत्यों पर जोर देते हैं। वे चिन्हृों को अपनाकर धर्म के सार-तत्व को मसल देते हैं। धर्म मनुष्य को अन्तर्मुखी बनाता है।
उसके हृदय के किवाड़ों को खोलता है। उसकी आत्मा को विषाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है। सम्प्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं। जात-पात, रूप-रंग तथा ऊच-नीच के भेदों से मुनष्य को ऊपर नहीं उठने देते। वस्तुतः प्रत्येक सम्प्रदाय घर्म का शत्रु है, धर्म-प्रवृति का घातम है।
धर्म जब मनुष्य के हृदय में उदित होता है तो उसका दृष्टिकोण बदल जाता है। सेवा, सहायता तथा परोपकार में उसका मन लगता है। दूसरों की सुख-समृद्वि में उसे आनन्द आता है।
प्रश्न:
(क) लोग धर्म की आड़ में कैसे स्वार्थ सिद्व करते हैं ?
(ख) सम्प्रदाय और धर्म में क्या अन्तर है ?
(ग) सम्प्रदाय को धर्म का शत्रु क्यों कहा गया है ?
(घ) मनुष्य के हृदय में धर्म का उदय होने पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(ङ) निम्नलिखित वाक्य से ’ने’ विभक्ति को हटाकर वाक्य को फिर से शुद्व रूप में लिखिएः धर्म को लोगों ने धोखे की टट्टी बना रखा है।
(च) निम्नलिखित वाक्य को सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिएः धर्म जब मुनष्य के हृदय में उदित होता है तो उसका दृष्टिकोण बदल जाता है।
(छ) निम्नलिखित वाक्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए: सम्प्रदाय बाहृय कृत्यों पर जोर देते हैं।
(ज) निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विपरीतार्थक) शब्द लिखिएः डदय, अन्तर्मुखी
(झ) निम्नलिखित शब्दों के संज्ञा-रूप लिखिए: डदार, विषाल
(ञ) निम्नलिखित शब्दों के विषेषण-रूप लिखिए: आत्मा, चरित्र
(ट) निम्नलिखित शब्दों के दो समानार्थक शब्द लिखिए: घातक
(ठ) निम्नलिखित सामासिक शब्दों के समास का नाम लिखिए: जत-पात
(ड) निम्नलिखित वाक्य को बहुवचन में परिवर्तित कीजिए: प्रत्येक सम्प्रदाय धर्म का शत्रु है।
3. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर निबन्ध लिखिए:
(क) आदर्ष नागरिक (’नागरिक’ शब्द का अर्थ, देष का अभिन्न अंग, नियम-कानूनों का अनुपालन, अधिकार और कर्तव्य, उपसंहार)
(ख) पुस्तकों का महत्व (भूमिका, ज्ञान-भंडार, प्रेरणा-स्त्रोत, विकास और मनोरंजन के साधन, उपसंहार)
(ग) भ्रष्टाचार (परिभाषा, कारण, प्रकार, निवारण के उपाय, निष्कर्ष)
(घ) दूरदर्षन (भूमिका, उपयोगिता, ज्ञान-षिक्षा-मनोरंजन का साधन, हानियाँ, निष्कर्ष)
4. परिवहन निगम के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए जिसमें आपके गाँव/नगर तक बस चलाने का अनुरोध हो।
अथवा
बिजली की कटौती के कारण पढ़ाई में आनेवाली कठिनाईयों की चर्चा करते हुए, इसमें सुधार के लिए अपने इलाके के विद्युत अभियंता को एक पत्र लिखिए।
5. निम्नलिखित प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
(क) ’मीडिय’ का क्या तात्पर्य है ?
(ख) प्रिंट माध्यम किसे कहते हैं ?
(ग) विभिन्न संचार माध्यमों के नाम लिखिए।
(घ) सम्पादकीय किसे कहा जाता है ?
(ङ) ’जन-संचार’ को परिभाषित कीजिए।
6. किसी पुस्तक-मेले अथवा किसी चित्र-प्रदर्षनी पर एक आलेख तैयार कीजिए।
अथवा
जीवन की किसी एक दुर्घटना पर एक फीचर लिखिए।
7. निम्नलिखित काव्यांष को पढ़कर उसके नीचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
सोचिए, बताइए, थोड़ी कोषिष करिए (यह अवसर खो देंगे ?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते हम पूछ-पूछ कर उसको रूला देंगे इन्तजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का करते हैं ? (यह प्रष्न पूछा नहीं जायगा)
प्रश्न:
(क) ’यह अवसर खो देंगे’ - का प्रसंग क्या है ?
(ख) ’कार्यक्रम रोजक बनाने’ - में ’रोचक’ शब्द का क्या तात्पर्य है ?
(ग) ’मीडिया के सामने एक अपाहिज को रूलाना सहानुभूति नहीं, बर्बरता और क्रूरता की निषानी है’। इसके पक्ष अथवा विपक्ष में अपनी राय दीजिए।
(घ) ’सोचिए, बताइए, थोडी कोषिष करिए’ - के मूल स्वर को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो दू नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है,
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है,
बच्चे प्रत्याषा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे -
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरना कितनी चंचलता है!
यह दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
प्रश्न:
(क) यहाँ ’रात’ और ’मंजिल’ शब्दों के आषय लिखिए।
(ख) दिन का थका हुआ पंथी कौन है और क्यों थका हुआ है ?
(ग) चिड़ियों के बच्चे किस प्रत्याषा में होते हैं ?
(घ) चिड़ियों के पंखों में चंचलता कब और क्यों आती है ?
8. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांष को पढ़कर उसके नीचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिए
(क) कविता एक उड़ान चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बहर भीतर उस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने ?
प्रश्न:
(क) प्रस्तुत कवितांष के भव-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) ’बाहर भीतर इस घर, उस घर’’ - की अथ-गरिमा पर प्रकाष डालिए।
(ग) प्रस्तुत कवितांष के भाषिक सौन्दर्य को रेखांकित कीजिए।
(ख) तुम्हें भूल जाने की
दक्षिणी ध्रुवी अन्धकार-आमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अन्तर में पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नही जाता है।
प्रश्न:
(क) प्रस्तुत कवितांष के भव-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) ’दक्षिणी ध्रुवी अन्धकार-अमावस्या’ का क्या तात्पर्य है ?
(ग) कवि यहाँ रमणीय उजेला क्यों सहन नहीं कर पा रहे हैं, स्पष्ट कीजिए।
9. अधोअंकित काव्यांषों को पढ़कर उसके नीचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिए: (किन्ही दो के)
(क) प्राण नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नथ, राख से लीपा हुआ-चैका (अभी गीला पड़ा है)
-- प्रस्तुत कवितांष के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
(ख) ऊँचे-नीचे करम, घरम-अघरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।
-- प्रस्तुत कवितांष के आधार पर तुलसीकालीन परिस्थिति को रेखांकित कीजिए।
(ग) दीवाली की शाम घर पुते और सजे, चीनी के खिलौने जगमगाते लावे,
-- प्रस्तुत रूबाई-खण्ड के भाव को स्पष्ट कीजिए।
(घ) रस का अक्षय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चैकोना।
-- यहाँ ’रस का अक्षय पा़’ और ’खेत चैकोना’ के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
10. निम्नांकित गद्यांषों को पढ़कर उसके नीचे दिये गये प्रष्नों के उत्तर दीजिएः (किसी एक)
(क) बाजार की सर्थकता वही मनुष्य देता है जो जानता है कि वह क्या चाहता है। और जो नही जानते कि वे क्या चाहते हैं, अपने ’पार्चेजिंग पावर’ के गर्व में अपने पैसे से केवल एक विनाषक शक्ति, शैतानी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति ही बाजार को देते हैं। न तो वे बाजार से लाभ उठा सकते हैं, न उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं, जिसका मतलब है कि कपट बढ़ाते हैं। कपट की बढ़ती का अर्थ है परस्पर में सद्भव घटी।
प्रश्न:
(क) बाजार की सार्थकता किस बात में निहित होती है ?
(ख) ’ पार्चेजिंग पावर’ का नकारात्मक पक्ष क्या है ?
(ग) ’बाजारूपन’ का यहाँ क्या तात्पर्य है ?
(घ) पारस्परिक सद्भाव का अभाव किस परिस्थिति में होता है ?
(ख) मांगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं, पर त्याग का कही नाम-निषान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करतें हैं, पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है: पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते है ? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?
प्रश्न:
(क) ’मांगे’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ख) लेखक ने यहाँ किस स्थिति के बदलने की बात कही है ?
(ग) ’ भ्रष्टाचार’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(घ) ’पानी झमाझम बरसता है’ और ’बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं’ के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
11. निम्नलिखित में से किन्ही चार प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
(क) षिरीष को अवधूत क्यों कहा गया है ?
(ख) ’नमक’ शीर्षक कहानी की किन्हीं तीन विषेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) चार्ली की लोकप्रियता के क्या-क्या कारण हैं ?
(घ) ’काले मेघा पानी दे’ के आधार पर किन्ही तीन लोक-विष्वासों को रेखांकित कीजिए।
(ङ) बाजार के जादू की जकड़ से बचने का सीधा उपाय क्या है, स्पष्ट कीजिए।
पूरक पुस्तक (वितान: भाग-2)
12. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
(क) यषोधर बाबू अपने घर के लिए क्यों नौकर रखना नहीं चाहते थे ?
(ख) ’यषोधर बाबू अपने परिवार के वैचारिक रूप में कभी जुड़े नहीं थे’ – इसके किन्हीं दो कारण दीजिए।
(ग) सिन्धु-सभ्यता को ’समझ से अनुषासित सभ्यता’ क्यों कहा गया है ?
13. निम्नलिखित प्रष्नों के उत्तर दीजिए:
(क) मुअनजा दड़ो की सभ्यता की किन्हीं तीन विषेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) यषोधर बाबू के जीवन में किषनदा के व्यक्तित्व का क्या प्रभाव पड़ा था, स्पष्ट कीजिए।
(ग) यषोधर बाबू अपने बच्चों से क्या उम्मीद करते थे!
अथवा
स्पष्ट कीजिए की मुअनजा दड़ो की सभ्यता साधन सम्पन्ना थी।
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