कवितावली - तुलसीदास
(Kavitavali – Tulsidas)
[AHSEC Class 12 Hindi notes]
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1. भुखमरी का मार्मिक दृश्य बताइए।
उत्तर: - कवि ने माता-पिता द्वारा संतान बेचने के मार्मिक दृश्य को उकेरा है।
2. तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है तथा क्यों?
उत्तर: - तुलसीदास ने है दरिद्रता की तुलना रावण से की है। दरिद्रता रूपी रावण ने पूरी दुनिया को दबोच लिया है तथा इसके कारण पाप बढ़ रहे हैं।
3. वेदों व पुराणों में क्या कहा गया है?
उत्तर: - वेदों और पुराणों में कहा गया है कि जब भी संकट आता है। प्रभु राम सभी पर कृपा करते हैं तथा सब का कष्ट दूर करते हैं।
4. कवि किन पर व्यंग्य करता है?
उत्तर: - कवि धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर राजनीति करने वाले ठेकेदारों पर व्यंग्य करता है।
5. कभी अपने किस रूप पर गर्व करता है?
उत्तर: - कवि स्वयं को राम भक्त कहने में गर्व अनुभव करता है। वह स्वयं को उनका गुलाम कहता है तथा समाज की हॅंसी का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
6. कवि अपना जीवन निर्वाह किस प्रकार करता है?
उत्तर: - कवि भिक्षावृत्ति से अपना जीवन यापन करता है। वह मस्जिद में निश्चिंत होकर सोता है। उसे किसी से कुछ लेना - देना नहीं है।
काव्य सौंदर्य संबंधी प्रश्न
Paragraph One
किसबी, किसान-कुल बनिक, भिखारी, भाट
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेट को पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरी,
अटत गहन-गन अहन अखेट की॥
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,
पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।
‘तुलसी’ बुझाइ एक राम घनस्याम ही तें,
आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेट की॥
1. इन काव्यपंक्तियों का भाव - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: - इस समाज में जितने भी प्रकार के काम है, वह सभी पेट की आग से वशीभूत होकर किए जाते हैं 'पेट की आग' विवेक नष्ट करने वाली है। ईश्वर की कृपा के अतिरिक्त कोई इस पर नियंत्रण नहीं पा सकता।
2. पेट की आग को कैसे शाँत किया जा सकता है?
उत्तर: - पेट की आग भगवान राम की कृपा के बिना नहीं बुझ सकती है। अर्थात राम की कृपा ही वह जल है, जिससे इस आग का समापन हो सकता है।
3. 'पेट की पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि' - इस पंक्ति से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: - अर्थात सभी पेट का गुण पढ़कर काम करते हैं, सभी पेट की भूख मिटाने के लिए काम करते हैं।
Paragraph Two
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सों, ‘कहाँ जाई, का करी?’
बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,
साँकरे सबै पै, राम! रावरें कृपा करी।
दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु!
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी॥
1. किसान, व्यापारी, भिखारी और चाकर किस बात से परेशान है?
उत्तरः- किसान को खेती के अवसर नहीं मिलते, व्यापारी के पास व्यापार की कमी है, भिखारी को भीख नहीं मिलती और नौकर को नौकरी नहीं मिलती।
2. वेद हूँ पुरान कहीं ......... कृपा करी - इस पंक्ति का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: - वेद - पुराण में भी यही लिखा है कि भगवान श्रीराम की कृपा दृष्टि पड़ने पर ही दरिद्रता दूर हो सकती है।
3. कवि ने दरिद्रता को किसके समान बताया है और क्यों?
उत्तर: - कवि ने दरिद्रता को दस वाले रावण के समान बताया है क्योंकि वह भी रावण की तरह समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर अपना अत्याचार चक्र चला रही है।
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