विशेषण और उसके भेद [Visheshan Aur Usake Bhed] [हिन्दी भाषा और व्याकरण ]

विशेषण और उसके भेद  
Visheshan Aur Usake Bhed
हिन्दी भाषा और व्याकरण

1. विशेषण किसे कहते हैं ? (Visheshan kise kahate hain)

"जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता प्रकट करें, उसे विशेषण कहते हैं । और वह संज्ञा या सर्वनाम विशेष्य के नाम से भी जाना जाता है" । 

विशेषण के उदहारण (Examples of Visheshan) 

"अच्छा या बुरा आदमी" अर्थात 'अच्छा' या 'बुरा' विशेषण एवं 'आदमी' विशेष्य है । उजली गाय अधिक दूध देती है, अर्थात उजली गाय का विशेषण है ;अधिक दूध का । विशेषण ना सिर्फ विशेषता बताता है बल्कि वह अपने विशेष्य की संख्या और परिमाण (मात्रा) भी बताता है जैसे-- पांच लड़के गेंद खेल रहे हैं ।

2. विशेषण कितने प्रकार के होते हैं? (Visheshan kitne prakar ke hote hain)

विशेषण के चार प्रकार होते हैं: 
(1) गुणवाचक विशेषण 
(2) परिमाणवाचक विशेषण 
(3) संख्यावाचक विशेषण
(4) सार्वनामिक विशेषण

(1) गुणवाचक विशेषण (Gunvachak Visheshan)

जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष ,रंग ,आकार ,स्थिति ,अवस्था, स्वभाव, दिशा ,दशा ,स्पर्श ,गंध, स्वाद , रूप ,काल, स्थान, बुराई, अच्छाई आदि का बोध कराएं उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। 

गुणवाचक विशेषण के उदहारण (Examples of Gunvachak Visheshan) 

गुण-- अच्छा, सरल ,परिश्रमी, ईमानदार, सच्चा ,दानी ,दयालु ,विनम्र ,दयावान आदि । 
दोष-- बुरा ,खराब ,उदंड ,जहरीला ,झूठा आदि । 
रंग --काला, पीला ,नीला ,हरा ,लाल ,गुलाबी ,सतरंगी ,आदि । 
आकार --छोटा ,बड़ा, गोल, लंबा, चौड़ा, मोटा आदि । 
गंध-- सुगंधित ,दुर्गंधपूर्ण ,खुशबूदार, बदबूदार ,गंदहीन आदि । 
अवस्था --युवा ,बूढा ,अधेर ,प्रौढ़, ठोस, तरल, तरुण आदि । 
काल --आधुनिक, प्राचीन ,ऐतिहासिक, दैनिक, वार्षिक आदि ।

(2) परिमाणवाचक विशेषण (Pariman Vachak Visheshan)

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की माप तोल संबंधी विशेषता को प्रकट करें, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । 
परिमाणवाचक विशेषण के उदहारण (Examples of Pariman Vachak Visheshan)
- पहलवान रोज चार किलो दूध पीता है । 
- वह बाद में कुछ घी भी खाता है । 
- यहां चार किलो दूध का माप (निश्चित) और कुछ घी का माप (अनिश्चित) है। 

इन दोनों वस्तुओं को गिना नहीं जा सकता, केवल मापा जा सकता है ।इसीलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है।
परिमाणवाचक विशेषण के दो प्रकार होते हैं: 
(क) निश्चित परिमाणवाचक (Nishchit Parimanvachak)
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं ,उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे -- पांच किलो, दस क्विंटल, एक तोला सोना, पांच मीटर कपड़ा आदि ।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक ( Anishchit Parimanvachak)
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का नहीं बल्कि अनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं ,उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे--- ढेर सारा मक्खन ,बहुत सी मिठाई ,कई किलो दही, थोड़ा आचार ,थोड़ी चटनी, जरा सा पापड़ आदि ।

(3) संख्यावाचक विशेषण (Sankhya Vachak Visheshan)

संख्यावाचक विशेषण उसे कहते हैं ,जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं।
संख्यावाचक विशेषण भी दो प्रकार के होते हैं: 
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
निश्चित संख्यावाचक विशेषण: जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के किसी निश्चित संख्या का बोध कराते हैं उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे: दो ,चार, पांच,दर्जन,पहला, चौगुना आदि शब्द । निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भी निम्नलिखित छः भेद होते हैं: 

(१) गणनावाचक विशेषण: जिस विशेषण से साधारण संख्या या गिनती का बोध हो, उसे गणना वाचक विशेषण कहते हैं । 

इसके दो भेद होते हैं: 
(a) पूर्ण संख्यावाचक: इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है। जैसे :-- चार छात्र, आठ लड़कियां आदि । 
(b) अपूर्ण संख्यावाचक: इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है । जैसे:-- सवा पांच रुपए, ढाई किलो मीटर आदि। 

(२) क्रमवाचक विशेषण: जिस विशेषण से क्रम का बोध हो ,उसे क्रमवाचक विशेषण कहते हैं । इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है। जैसे -- पहली कक्षा, दूसरा लड़का, तीसरा आदमी ,चौथी खिड़की आदि। 

(३) आवृत्तिवाचक विशेषण: जिस विशेषण से किसी संज्ञा या सर्वनाम की तहो या गुणन का बोध हो, उसे आवृत्तिवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे --- दुगुना छात्र ,ढाई गुना लाभ , तिहरा , चौगुना आदि। 

(४) समुच्चयवाचक विशेषण: जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के किसी प्रचलित समुच्चय को प्रकट करने का बोध हो ,उसे समुच्चयवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे--- दर्जन, युग्म, सैकड़ा ,जोड़ा ,पच्चीसी, शतक, चालीसा, सतसई आदि । 

(५) समुदायवाचक विशेषण: जिस विशेषण से कुछ संख्याओं के समूह का बोध हो ,उसे समुदायवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे --- दोनों ,तीनों ,चारों आदमी , आठो पुस्तकें, तीनो के तीनो, सब के सब आदि। 

(६) प्रत्येकवाचक विशेषण: जिस विशेषण से प्रत्येक का अथवा विभाग का बोध होता है, उसे प्रत्येकवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-- प्रत्येक, हर एक, हर मास ,हर वर्ष ,एक- एक, चार-चार आदि ।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं कराते, बल्कि उसका अस्पष्ट अनुमान प्रस्तुत करते हैं । उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे :---कुछ ,कई ,काफी ,थोड़ा ,बहुत ,लगभग आदि । कभी-कभी निश्चित संख्यावाची विशेषण भी अनिश्चित सूचक विशेषण के योग से निश्चित संख्यावाची बन जाते हैं ।जैसे -- उस सभा में लगभग हजार व्यक्ति थे।

(4) सार्वनामिक विशेषण (sarvanamik visheshan)

जब किसी सर्वनाम का मौलिक या योगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर उसके क्षेत्र को सीमित कर दें, तब वह सर्वनाम न रहकर सार्वनामिक विशेषण कहलाता है । अथवा जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयोग होते हैं ,वह सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं । जैसे: वह खंभा गिर जाएगा ।यहां वह सर्वनाम 'खंभा' की विशेषता प्रकट कर रहा है अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
सार्वनामिक विशेषण के चार भेद होते हैं: 
(१) निश्चयवाचक 
(२) अनिश्चयवाचक 
(३) प्रश्नवाचक 
(४)संबंधवाचक
(१) निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये संज्ञा या सर्वनाम की ओर निश्चयात्मक संकेत करते हैं ।जैसे: यह किताब उठा लो ।इसे नहीं, उस किताब को निकालो। 

(२) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये संज्ञा या सर्वनाम की ओर अनिश्चययात्मक संकेत करते है जैसे: कोई आदमी मिलने आया है। 

(३) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण: यह विशेषण संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित प्रश्नों का बोध कराते हैं । जैसे: कौन आया है? किस किस पुस्तक को पढ़ू? 

(४) संबंधवाचक सर्वनाम एक विशेषण: ये विशेषण एक संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य में प्रयोग होने वाले अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्द के साथ जोड़ते हैं। जैसे: जिस काम को करना ना हो ,उस पर विचार करना मूर्खता है ।

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