अर्थ परिवर्तन पर लगभग 250 – 250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए | IGNOU MHD – 07 Free Solved Assignment

अर्थ परिवर्तन पर लगभग 250 – 250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए ।

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उत्तर : अर्थ परिवर्तन

भाषा में शब्दों के अर्थ में निरंतर परिवर्तन होता है। इससे भाषा की शब्दावली में भी परिवर्तन आता रहता है । भाषा में शब्दों के अर्थ परिवर्तन के कई कारण हैं  । हम नई संकल्पनाओं के लिए पुराने प्रचलित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ।

जैसे– ‘पैर’ शब्द का उपयोग कई भाषाओं में फर्नीचर के पायों के लिए होता है । यह अर्थ परिवर्तन सादृश्यमुलक अर्थ विस्तार है । अर्थ परिवर्तन के  लिए  लोगों  में विचारों के प्रति दृष्टिकोण भी प्रमुख कारण है । जैसे — ‘पुंगव’ एक युग में पंडित, ज्ञानी के अर्थ में प्रयुक्त होता था, लेकिन ढोंगी विद्वानों के लिए मजाक में  पोंगा शब्द का प्रयोग हुआ है । हम सामाजिक व्यवहार में अमंगलसूचक या  अशोभनीय शब्दों का प्रयोग नहीं करते उनकी जगह भिन्न शब्दों का प्रयोग करते हैं । ‘मरना’ के लिए स्वर्ग सिधारना ।

अर्थ परिवर्तन की तीन प्रमुख दिशाएं हैं :

1) अर्थ विस्तार :

अर्थ विस्तार में शब्द के मूल अर्थ का विस्तार होता है और शब्द का अर्थ व्यापक संदर्भ में प्रयुक्त होता है। जैसे — ‘तेल’ का मूल अर्थ था तिल से प्राप्त तेल, अब हम इसका प्रयोग सभी तेलों के लिए करते हैं । आज पेट्रोल भी तेल कहा जाता है । ‌‌

जैसे — कुशल का प्रयोग कुश लाने में होशियार व्यक्ति, या हर काम में निपुण व्यक्ति होता है ।

2) अर्थ संकोच :

अर्थ संकोच की प्रक्रिया में मूल अर्थ सिकुड़कर सीमित अर्थ देता है । जैसे — संस्कृत में ‘मृग’ का अर्थ था प्राणी, जानवर इसी अर्थ में हम सिंह को मृगराज कहते हैं । आज यह अर्थ सीमित ढंग से केवल ‘हिरण’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है । अंग्रेजी में मीट खाद्य पदार्थ का अर्थ देता है, और अब केवल ‘मांस’ का अर्थ देता है।

3) अर्थादेश :

अर्थादेश शब्द का अर्थ है ‘अर्थ बदल जाना’ । संस्कृत में ‘दुहिता’ का अर्थ था ‘गाय दुहने वाली’ । अब यह  पुत्री के अर्थ में प्रयुक्त होता है । अक्सर शब्द का विपरीत अर्थ में भी प्रयोग होने लगता है । संस्कृत में असुर का अर्थ था ‘देव’ अब वह दानव का अर्थ देता है और सादृश्य के कारण उससे ‘सुर’ शब्द बना लिया गया है । ‘राग’ का अर्थ प्रेम है, बांग्ला में वह ‘क्रोध’ का अर्थ प्रकट करता है ।

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