कवि और उनके काव्य पंक्तियाँ
हिंदी भाषा (Hindi Bhasha MCQs)
UGC NET MCQ Questions and Answers
Part 1: 51 to 100 (50 Questions)
Paper: Hindi 20
यहाँ दिए हुए हिंदी भाषा (Hindi Bhasha) से सम्बंधित सभी MCQS NTA Net एग्जाम के पुराने प्रश्न पत्रों से लिए गए है जो प्रतियोगियो के बहुत लाभदायक होंगे। NTA नेट पेपर हिंदी (२०) के और नोट्स के लिए नियमित रूप से इस वेबसाइट विजिट करते रहे. SLET/SET के विद्यार्थियों के लिए भी ये लाभदायक है. इस पोस्ट में मैंने कवि और उनके काव्य पंक्तियाँ से सम्बंधित सभी प्रश्नो को एक पोस्ट में एकत्रित करने का प्रयास किया है.
(1) आवाज जात पनहियाँ टूटी बिसरि गयो हरि नाम”
उत्तर:- कुंभनदास
(2) ‘कुंदन को रंग फीको लगै, झलकै अति अंगनि चारू गोराई’
उत्तर:- मतिराम
(3) ” तत्रीनाद कवित रस सरस राग रति रंग अनबूड़े बूड़े सब अंग”
उत्तर:- बिहारी (अलंकार – विरोधाभास)
(4) ” प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी “
उत्तर:- रैदास
(5) ” कनक कर्दाल पर सिंह समारल ता पर मेरू समाने “
उत्तर:- विद्यापति
(6) ” नैन नचाय कही मुसकाय, लला फिर आइयो खेलन होरी “
उत्तर:- पद्माकर
(7) ” अति सूधौ सनेह को मारग है “
उत्तर:- घनानंद
(8) ” मोर पखा सिर ऊपर राखि हौं, गुंज की माल गले पहिरौगी “
उत्तर:- रसखान
(9) ” साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि “
उत्तर:- भूषण
(10) ” गुलगुली गिल मै गुनीजन है “
उत्तर:- बोधा
(11) ” आगे के कवि रीझिहै तो कविताई न तो राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहानौ है”
उतर:- पदमाकर
(12) ‘बारह बरस लौ कूकर जीवै, अरु तेरह लौ जिये सयार!
उत्तर:-
(13) ‘अमिय हलाहल मद मरे, सेत स्याम रतनार
जियत मरत झुकि परत, जेहि चितवत इक बार।’
उत्तर:- रसलीन
(14) ‘जे हाल मिसकी मकुन तगाफुल दुराय नैना, बनाय बतियाँ ।’
उत्तर:- अमीर खुसरो
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(15) ‘ रावरे रस को रीति अनूप, नयो नयो लागत ज्यों ज्यों निहारियें’
उत्तर:- धनानन्द
(16) केसव कहि न जाई का कहिए ।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए ।
उत्तर:- तुलसीदास
(17) ‘देसिल बयना सब जब मिट्ठा’
उत्तर:- विद्यापति
(18) सर्वव्यापी एक कुम्हार, जाकी महिमा आर न पारा!
हिन्दू तुरूक का एकै कर्ता, एकै ब्रह्म सबन का भर्ता !!
उत्तर:- मलूकदास
(19) ‘भाषा प्रवीन सुछन्द सदा रहै, सो धन जी के कवित्त बखानै’
उत्तर:- ब्रजरत्रदास
(20) ‘जात पात पूछै नहिं कोई’
उत्तर:- रामानंद
(21) ‘गिरा अनयन नयन बिनु बानी’
उत्तर:- तुलसीदास
(22) ‘प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए’
उत्तर:- सूरदास
(23) ‘मानुष प्रेम भयो बैकुंठी’
उत्तर:- जायसी
(24) ”अब लौं नसानी अब न नसैहौं”
उत्तर:- तुलसीदास
(25) “सटपटाति – सी ससि मुखी मुख घूँघट पर ढाँकि”
उत्तर:- बिहारी
(26) “ऊधौ मन भए दस – बीस”
उत्तर:- सूरदास
(27) “बसो मेरे नैनन में नन्दलाल”
उत्तर:- मीराबाई (15 वीं शताब्दी)
(28) अमिय हलाहल मदभरे, खेत स्याम रतनार।
जियत मरत झुकि – झुकि परत, जेहि चितवत एक बार!!
उत्तर:- ‘रसलीन’ (रीतिकाल के कवि सैयद गुलाम अली का उपनाम है)
(29) “सेस महेस गनेस दिनेस”
उत्तर:- रसखान
(30) “मन लेत पे देत छटाँक नहीं”
उत्तर:- घनानंद
(31) ‘जैसे उड़ि जहाज को पंछी’
उत्तर:- सूरदास
(32) “साई के सब जीव है कीरो कुंजर दोय”
उत्तर:- कबीर
(33) “भूषन बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित”
उत्तर:- केशव
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(34) “गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग”
उत्तर:- तुलसीदास
(35) “अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग”
उत्तर:- बिहारी
(36) “कीरति भनिति भूति भल सोई!
सुरसरि सम सब कहँ हित होई।।”
उत्तर:- तुलसी
(37) “ज्यों – ज्यों निहारिये नेरे हवै नैननि”
उत्तर:- मतिराम
(38) “उँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी”
उत्तर:- भूषण
(39) “काव्य की रीति सिखी सुकबीन सों देखी सुनी बहुलोक की बातें”-
उत्तर:- भिखारीदास (रीतिकाल के आचार्य कवि थे)
(40) “हरि रस पीया जानिए, जे कबहू न जाय खुमार!
मैमता घूमत फिरै, नाहि तन का सार”
उत्तर:- कबीरदास
(41) “श्रुति सम्मत हरिभक्ति पथ संजुत विरति विवेक”
उत्तर:- तुलसीदास (रामचरितमानस)
(42) “अभिधा उतम काव्य है, मध्य लक्षणा हीन
अधम व्यंजना रस विरस, उलटी कहत नवीन”
उत्तर:- देवकवि (भाव – विलास के कवि)
(43) “ज्यौं – ज्यौं बसे जात दूरि दूरि प्रिय प्राण मूरि ।
त्यौं – त्यौं धसे जात मन मुकुर हमारे मैं”।।
उत्तर:- जगन्नाथ दास रत्नाकर (भ्रमरगीत प्रसंग से)
(44) “पंडिय सअल सन्त बक्खाणइ। देहहि बुद्ध बसंत न जाणइ”
उत्तर:- सरहपाद
(45) “सजन सकारे जाएंगे, नैंन मरेंगें रोय।
विधाना ऐसी रैन का, भोर कबहूँ ना होय।”
उत्तर:- शरफुद्दीन – बू – अली कलन्दर (अमीर खुसरो के समकालीन है)
(46) “हेरी म्हा तो दरद दिवाणी महाराँ दरद न जाण्याँ कोय”
उत्तर:- मीराबाई
(47) “माँगि के खैबो मसीत के सोइबो, लैबो को एक न दैबो को दोऊ”!
उत्तर:- तुलसीदास (कवितावली से)
(48) “लोगन कवित कीबो खेल करि जानो है”
उत्तर:- ठाकुर
(49) “हिन्दू मग पर पाँव न राखेउँ । का जौ बहुतै हिन्दी भाखेउँ।”
उत्तर:- नूर मुहम्मद
(50) “कबीर कानि राखी नही, वर्णाश्रम षटदरसनी”
उत्तर:- नाभादास
(51) “गुरू सुआ जेइ पंथ दिखावा।”
उत्तर:- जायसी
(52) “संतन को कहाँ सीकरी सो काम”
उत्तर:- कंभनदास
(53) “अजगर करै न चाकरी पंछी करै न काम”
उत्तर:- मलूकदास
(54) “शिवद्रोही मम दास कहावा”
उत्तर:- तुलसी
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