दिन जल्दी – जल्दी ढलता है | Hindi Notes | Class 12 | AHSEC

Hindi Notes Class 12

AHSEC – Assam Board

Chapter 1

दिन जल्दी – जल्दी ढलता है 

1. हो जाए न पथ में रात कहीं,

मंजिल भी तो है दूर नहीं-

यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

प्रसंग:- प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह – 2’ में संकलित गीत ‘दिन जल्दी – जल्दी ढलता है।’ से उद्धृत है इस गीत के रचयिता हरिवंशराय बच्चन है। इस गीत में कवि ने एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता का वर्णन किया है।

व्याख्या:- कवि जीवन की व्याख्या करता है कि शाम होते देखकर यात्री तेजी से चलता है कि कहीं रास्ते में रात ना हो जाए। उसकी मंजिल समीप ही होती है इस कारण यह थकान होने के बावजूद जल्दी-जल्दी चलता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए उसे दिन जल्दी ढ़लता प्रतीत होता है।

विशेष:-

(1) कवि ने जीवन की क्षणभंगुरता व प्रेम की व्यग्रता को व्यक्त किया है।

(2) ‘जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

(3) खड़ी बोली है।

(4) भाषा सरल है।

(5) जीवन को बिंब के रूप में व्यक्त किया है।

(क) कवि तथा कविता का नाम बताइए।

उत्तर:- कवि हरिवंशराय बच्चन तथा कविता का नाम दिन जल्दी – जल्दी ढलता है।

(ख) प्रथक के मन में क्या आशंका है।

उत्तर:- प्रथक के मन में आशंका है कि घर पहुंचने से पहले कहीं रात ना हो जाए। रात्रि के कारण उसे रुकना पड़ सकता है।

(ग) कवि दिन के बारे में क्या बताता है?

उत्तर:- कवि कहता है कि दिन जल्दी-जल्दी ढ़लता है। दूसरे शब्दों में समय परिवर्तनशील है। वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है।

(घ) प्रथक के तेज चलने का क्या कारण है?

उत्तर:- प्रथक तेज इसलिए चलता है क्योंकि शाम होने वाली है। उसे अपना लक्ष्य समीप नजर आता है। रात ना हो जाए। इसलिए वह जल्दी चलकर अपनी मंजिल पर पहुंचना चाहता है।

2. बच्चे प्रत्याशा में होंगे,

नीड़ों से झाँक रहे होंगे

यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

प्रसंग:- प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह – 2’ में संकलित गीत ‘दिन जल्दी – जल्दी ढलता है।’ से उद्धृत है इस गीत के रचयिता हरिवंशराय बच्चन है। इस गीत में कवि ने एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता का वर्णन किया है।

व्याख्या:- कवि प्रकृति के माध्यम से उदाहरण देता है की चिड़िया भी दिन ढलने का चंचल हो उड़ती है। उन्हें ध्यान आता है कि उनके बच्चे भोजन आदि की आशा में घोसलों से बाहर झांक रहे होंगे यह ध्यान आते ही उनके पंखों में तेजी आ जाती है और वे जल्दी – जल्दी अपने घरों में पहुंच जाना चाहती है।

विशेष:-

(1) वात्सल्य भाव की व्यग्रता सभी प्राणियों में पाई जाती है।

(2) पक्षियों के बच्चों द्वारा घोसलो से झांकना दृश्य बींब को बताता है।

(3) तत्सम शब्दावली की प्रमुखता है।

(4) जल्दी-जल्दी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

(क) बच्चे किसका इंतजार कर रहे हैं तथा क्यों?

उत्तर:- बच्चे अपने माता-पिता के आने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें भोजन इत्यादि की पूर्ति तभी होगी।

(ख) चिड़ियों के घोंसलो में किस दृश्य की कल्पना की गई है?

उत्तर:- कवि चिड़ियों के घोंसलो में उस दृश्य की कल्पना करता है जब बच्चे मां – बाप की प्रतीक्षा में घोसले से झांकने लगते हैं।

(ग) चिड़ियों के परों में चंचलता आने का क्या कारण है?

उत्तर:- चिड़ियों के परों में चंचलता इसलिए आ जाती है क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की चिंता में बेचैनी हो जाती हैं वे अपने बच्चों की भोजन, स्नेह व सुरक्षा देना चाहते हैं।

(घ) इस अंश में किस मानव – सत्य को दर्शाया गया है?

उत्तर:- इस अंश से कवि मां के वात्सल्य भाव का सजीव वर्णन करता है। वात्सल्या और प्रेम के कारण मातृमन आशंका से भर उठता है।

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1. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है  हरिवंश राय बच्चन

2. कविता के बहाने – कुंवर नारायण

3. कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय

4. सहर्ष स्वीकारा – गजानन माधव मुक्तिबोध

5. उषा – कवि शमशेर बहादुर सिंह

6. कवितावली – तुलसीदास

7. रुबाइयाँ – फ़िराक़ गोरखपुरी

8. छोटा मेरा खेत – उमाशंकर जोशी

9. बाजार दर्शन – जैनेंद्र कुमार

10. काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती

11. चार्ली चैपलिन यानी हम सब – विष्णु खरे

12. नमक – रजिया सज्जाद जाहिर

13. शिरीष के फूल – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

3. मुझसे मिलने को कौन विकल?

मैं होऊँ किसके हित चंचल?–

यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! 

प्रसंग:- प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह – 2’ में संकलित गीत ‘दिन जल्दी – जल्दी ढलता है।’ से उद्धृत है इस गीत के रचयिता हरिवंशराय बच्चन है। इस गीत में कवि ने एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता का वर्णन किया है।

व्याख्या:- कवि कहता है कि इस संसार में वह अकेला है। इस कारण उससे मिलने के लिए कोई व्याकुल नहीं होता। कवि के मन में प्रेम – तरंग जगने का कोई कारण नहीं है। कवि के मन में यह प्रश्न आने पर उसके पैर शिथिल हो जाते हैं। उसके हृदय में व्याकुलता भर जाती है दिन के जल्दी ढलने की चंचलता समाप्त हो जाती है। 

विशेष:-

(1) एकाकी जीवन मिटाने वाले व्यक्ति की मनोदशा का वास्तविक चित्रण किया गया है।

(2) प्रश्नलेकार है।

(3) खड़ी बोली है।

(4) ‘जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

1. कवि के मन में कौन – से प्रश्न उठते हैं?

उत्तर:- कवि के मन में निम्नलिखित प्रश्न उठते हैं –

(1) उससे मिलने के लिए कौन बेचैन हो सकता है?

(2) वह किसके लिए चंचल होकर कदम बढ़ाए?

2. कवि की व्याकुलता का क्या कारण है?

उत्तर:- कवि के हृदय में व्याकुलता है क्योंकि वह अकेला है। इस कारण उसके मन में अनेक प्रश्न उठते हैं।

3. कवि के कदम शिथिल क्यों हो जाते हैं?

उत्तर:- कवि अकेला है। उसका इंतजार करने वाला कोई नहीं है। इस कारण कवि के मन में भी उत्साह नहीं है। इसलिए उसके कदम शिथिल हो जाते हैं।

काव्यसौंदर्य

“हो जाए ना पथ ………… जल्दी ढ़लता है।“

1. काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

उत्तर:- इस काव्यांश की भाषा सरल संगीतमयी व प्रवाहमय है। इसमें दृश्य बिंब है। ‘जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. बच्चे प्रत्याशा मैं होंगे ………. झांक रहे होंगे।

उत्तर:- इस पंक्ति में वात्सल्य भाव को दर्शाया गया है। बच्चे मां-बाप के आने की प्रतीक्षा में घोंसलो से झांकने लगते हैं।

3. ‘पथ’ ‘मंजिल’ और ‘रात’ शब्द किसके प्रतीक है?

उत्तर:- ‘पथ’ ‘मंजिल’ और ‘रात’ क्रमशः मानव – जीवन संघर्ष ‘परमात्मा से मिलने की जगह’ तथा मृत्यु के प्रतीक है।

Questions and Answers

 1. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है कविता का उद्देश्य बताइए।

उत्तर:- यह गीत निशा निमंत्रण से उद्धृत है। इस गीत में कवि प्रकृति की दैनिक परिवर्तन शीलता के संदर्भ में प्राणी वर्ग के धड़कते हृदय को सुनने की काव्यात्मक को शीश को व्यक्त करता है। किसी प्रिय आलंगन या विषय से भावी साक्षात्कार  का आश्वासन ही हमारे प्रयास के पगो की गति में चंचल तेजी भर सकता है – अनयशा हम शिथिलता और फिर जड़ता को प्राप्त होने को अभिशप्त हो जाते हैं। यह गीत इस बड़े सत्य के साथ समय के गुजरते जाने के एहसास में लक्ष्य प्राप्ति के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी लिए हुए हैं।

2. कौन सा विचार दिन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदमों को धीमा कर देता है? ‘बच्चन’ के गीत के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर:- कवि एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है। शाम के समय उसके मन में प्रश्न उठता है कि उसके आने के इंतजार में व्याकुल होने वाला कोई नहीं है। दूसरे, वह किसके लिए तेजी से घर जाने की कोशिश करें। इन प्रश्नों के उठते ही दिन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम धीमे हो जाते हैं।

3. यदि मंजिल दूर हो, तो लोगों की वहां पहुंचने की मानसिकता कैसी होती है?

उत्तर:- मंजिल दूर होने पर लोगों में उदासीनता का भाव आ जाता है। कभी-कभी उनके मन में निराशा भी आ जाती है। मंजिल की दूरी के कारण कुछ लोग घबराकर प्रयास छोड़ देते हैं। कुछ व्यर्थ के तर्क वितर्क में उलझकर रह जाते हैं। मनुष्य आशा व निराशा के बीच झूलता रहता है।

4. दिन का ढलना अपने लिए क्या मायने रखता है?

उत्तर:- दिन का जल्दी-जल्दी ढलना प्रतीकात्मक है। यह समय के शीघ्रता के साथ बीतने की ओर संकेत करता है। समय बीतने की गति के अनुसार अपने लक्ष्य के प्रति अधिक सजग रहना चाहिए।

5. कवि अपने मन का ज्ञान किस प्रकार करता है?

उत्तर:- कवि अपने मन की इच्छा के अनुसार कार्य करता है। उसने दुनिया की कभी परवाह नहीं की। कवि के मन में जो आया उसने वही किया। इसलिए कवि अपने मन का गान करता है।

6. कवि को संसार अपूर्ण क्यों लगता है?

उत्तर:- कवि भावनाओं को प्रमुखता देता है। वह संसारिक बंधनों को नहीं मानता। वह वर्तमान संसार की शुष्कता नीरसता के कारण नापसंद करता है। वह अपनी कल्पना के संसार बनाता है। तथा प्रेम में बाधक बनने पर उन्हें मिटा देता है। वह निजी प्रेम को सम्मान देने वाले संसार की रचना करना चाहता है।

7. बच्चे प्रत्याशा में होंगे, नीड़ों से झाँक रहे होंगे – बच्चे किसका इंतजार कर रहे हैं तथा क्यों?

उत्तर:- पक्षी दिनभर भोजन की तलाश में भटकते हैं। उनके बच्चे घोसलो में माता-पिता की राह देखते रहते हैं कि माता-पिता उनके लिए दाना लाएंगे और उनका पेट भरेंगे। वे मां-बाप के स्नेहिल स्पर्श पाने के लिए प्रतीक्षा करते हैं। छोटे बच्चे को माता – पिता का स्पर्श व उनकी गोद में बैठना उनका प्रेम – प्रदर्शन भी असीम आनंद देता है। इन सबकी पूर्ति के लिए वे नीड़ों से झाँकते हैं।

8. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है- की आवृत्ति से क्या प्रकट होता है?

उत्तर:- दिन जल्दी – जल्दी ढलता है- की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ बढ़ते समय बीतने का पता नहीं चलता। पार्थिक लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आतुर होता है। इस पंक्ति की आवृत्ति समय के निरंतर चलाएमान प्रकृति को भी बताती हैं। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। अतः समय के साथ स्वयं को संयोजित करना प्राणियों के लिए आवश्यक है।

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