सहर्ष स्वीकारा [Saharsh Swikara – गजानन माधव मुक्तिबोध]

Hindi Notes Class 12

AHSEC – Assam Board

सहर्ष स्वीकारा – गजानन माधव मुक्तिबोध

(Saharsh Swikara – Gajanan Madhav Muktibodh)

In this Article you will get सहर्ष स्वीकारा [Saharsh Swikara] notes for Class 12 Hindi. These सहर्ष स्वीकारा [Saharsh Swikara questions and answers] notes are useful for Class 12. Also will get chapterwise hindi notes here.

saharsh swikara

1. सप्रसंग व्याख्या कीजिये [Para 1]

जिंदगी में जो कुछ है, 

जो भी है सहर्ष स्वीकारा है;

इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।

गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब यह विचार-वैभव सब दृढ़ता यह, 

भीतर की सरिता यह अनुभव सब मौलिक है, 

मौलिक है इसलिए कि पल पल में कुछ भी जागृत है अपलक है- संवेदन तुम्हारा है!! 

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ – 2 मैं संकलित कविता सहर्ष स्वीकारा है से उद्धृत है, इसके रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध है इस कविता में, कवि ने जीवन में दुख – सुख, संघर्ष अवसाद, उठा – पटक इसका सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या: – कवि कहता है कि मेरी जिंदगी में जो कुछ है, जैसा भी है, उसे वह खुशी से स्वीकार करता है इसलिए मेरा जो कुछ भी है वह प्रिया को अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमान युक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी- यह सब नए रूप में मौलिक है तथा नए है। इसकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर हरचंद जो कुछ घटता है जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।

विशेष: –

1. कभी अपनी हार उपलब्धि का श्रेय प्रिया को देता है।

2. संबोधन शैली है।

3. मौलिक है की आवृत्ति प्रभावी बन पड़ी है।

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers [Part 1]

Q.1. कवि तथा कविता का नाम बताइए |

उत्तर: – गजानन, माधव मुक्तिबोध, सहर्ष स्वीकारा

Q.2. कवि ने सहर्ष क्या स्वीकार क्या है तथा क्यों?

उत्तर: – कवि ने अपने जीवन की हर उपलब्धि वॉइस स्थिति सहर्ष स्वीकार है क्योंकि यह सब उसकी प्रेयसी को प्यारा है उसकी प्रिया को कभी की हर उपलब्धि अच्छी लगती है।

Q.3. कभी किन-किन को मौलिक मानता है तथा क्यों?

उत्तर: – कवि स्वाभिमान युक्त गरीबी जीवन के गंभीर अनुभव वैचारिक चिंतन व्यक्तित्व की दृढ़ता और अंतः कारण की भावनाओं को मौलिक बनाता है। ये उसके यथार्थ का प्रतिफल है। इन पर किसी का प्रभाव नहीं है, अतः यह मौलिक है

Q.4. काव्यांश किसको संबोधित है?

उत्तर: -यह काव्यांश कवि की तैसी को संबोधित है। कवि ने उसके लिंग पहचान आदि के बारे में स्पष्ट संकेत नहीं किया है, परंतु शब्द – चयन व संकेत बताते हैं कि यह उसकी प्रिया है।

Q.5. कवि पर किस की संवेदना का प्रभाव है?

उत्तर: -कवि की सभी उपलब्धि पर उसकी प्रिया की संवेदना का प्रभाव है।

2. सप्रसंग व्याख्या कीजिये [Para 2]

जाने क्या रिश्ता है,जाने क्या नाता है जितना भी उँड़ेलता हूँ,

भर भर फिर आता है दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है भीतर वह,

ऊपर तुम मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ – 2 मैं संकलित कविता सहर्ष स्वीकारा है से उद्धृत है, इसके रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध है इस कविता में, कवि ने जीवन में दुख – सुख, संघर्ष अवसाद, उठा – पटक इसका सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:- कवि कहता है कि तुम्हारे साथ ना जाने कौन-सा है संबंध है या ना जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए वह तुम्हारे ने रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूं वह फिर चारों ओर से सिमटकर चला आता है और मेरे हृदय में भर जाता है ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है।

वह स्नेह मीठे पानी के स्रोत के समान है जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता रहता है। इधर मन में प्रेम है और उधर तुम्हारा चांद जैसा मुस्कुराता हुआ चेहरा अपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश से मुझे नहलाता रहता है। कवि का आंतरिक व बाहय जगत दोनों प्रिया से संचालित है।

विशेष: –

1 कवि प्रिया के स्नेह से पूर्णत: आच्छादित है।

2 ‘दिल’ में क्या जानना है? मैं प्रश्न अलंकार है

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1. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है  हरिवंश राय बच्चन

2. कविता के बहाने – कुंवर नारायण

3. कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय

4. सहर्ष स्वीकारा – गजानन माधव मुक्तिबोध

5. उषा – कवि शमशेर बहादुर सिंह

6. कवितावली – तुलसीदास

7. रुबाइयाँ – फ़िराक़ गोरखपुरी

8. छोटा मेरा खेत – उमाशंकर जोशी

9. बाजार दर्शन – जैनेंद्र कुमार

10. काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती

11. चार्ली चैपलिन यानी हम सब – विष्णु खरे

12. नमक – रजिया सज्जाद जाहिर

13. शिरीष के फूल – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers [Part 2]

Q.1. कवि प्रिया के साथ अपने संबंध कैसे बताता है?

उत्तर: -कवि का अपनी प्रिया के साथ गहरा संबंध है। उसके स्नेह से अंदर वह बाहर पूर्णत: आच्छादित है प्रिया का स्नेह उसे भिगोता रहता है।

Q.2. कभी अपने दिल की तुलना किससे करता है तथा क्यों?

उत्तर: -कभी अपने दिल की तुलना मीठे पानी के झरने से करता है। वाह इसमें से जितना भी प्रेम बाहर उड़ेलता है उतना ही या फिर भर जाता है।

Q.3. कवि प्रिया को जीवन से किस प्रकार अनुभव करता है?

उत्तर: – कवि प्रिया को अपने जीवन में इस प्रकार आच्छादित अनुभव करता है जैसे धरती पर सदा चांद मुस्कुराता रहता है कवि के जीवन पर सदा उसके प्रिय का मुस्कुराता हुआ चेहरा जगमगाता रहता है।

3. सप्रसंग व्याख्या कीजिये [Para 3]

सचमुच मुझे दण्ड दो कि भूलूँ मैं

भूलूँ मैं तुम्हें भूल जाने की दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या शरीर पर, चेहरे पर,

अंतर में पा लूँ मैं झेलूँ मै,

उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला अब सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

ममता के बादल की मँडराती कोमलता

भीतर पिराती है कमज़ोर और अक्षम अब हो गयी है

आत्मा यह छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है

बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नही होती है!!!

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ – 2 मैं संकलित कविता सहर्ष स्वीकारा है से उद्धृत है, इसके रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध है इस कविता में, कवि ने जीवन में दुख – सुख, संघर्ष अवसाद, उठा – पटक इसका सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:- कवि अपने पिया को भूलना चाहता है। वह चाहता है कि उससे बोलने का दान दे। वह इस धन को भी सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रिया को बोलने का अंधकार कवि के लिए दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली छः मास की रात्रि के समान होगा। वह इस अंधकार में लीन हो जाना चाहता है।

वह इस अंधकार को अपने शरीर ह्रदय पर झेलना चाहता है।इसका कारण यह है कि प्रिया के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। या उजाला अब उसके लिए असहनीय हो गया है। प्रिया की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव उसके भीतर मंडराती रहती है। यही कोमल ममता उसके हृदय को पीड़ा पहुंचाती है। इसके कारण उसकी आत्मा बहुत कमजोर और असमर्थ हो गई है।

उसे भविष्य में होने वाली अनहोनी से डर लगने लगा है। उसे भीतर ही भीतर या डर लगने लगा है कि कभी प्रिया के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उससे अपने प्रिया का बहलाना सहलाना और रह रहकर अपना पन जताना सहन नहीं होता। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है।

विशेष: –

(1) कवि अत्याधिक मोह से अलग होना चाहता है।

(2) संबोधन शैली है।

(3) खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।

(4) अंधकार – अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(5) कोमलता व आत्मीयता का मानवीकरण किया गया है।

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers [Part 3]

(1) कवि क्या दंड चाहता है और क्यों?

उत्तर: – कवि अपनी प्रिया को भूलने का दंड चाहता है क्योंकि प्रिया के कारण उसकी आत्मा कमजोर हो गई है।

(2) कवि अपने जीवन में क्या चाहता है?

उतरः- कवि चाहता है कि उसके जीवन में अमावस्या और दक्षिणी ध्रुव के समान गहरा अंधकार छा जाए। वह वियोग की स्थिति में रहना चाहता है।

(3) कवि को क्या सहन नहीं होता?

उत्तरः- कवि की प्रिया के स्नेह का उजाला अत्यंत साणीय है। वह कवि को घेरे हुए हैं। इस स्थिति को सहन नहीं कर पा रहा।

(4) कवि को कौन सी भावना पीड़ा देती है?

उत्तरः- कवि को यह बात पीड़ा देती है कि उसकी प्रियसी उस पर ममता के बादल बरसती है।

(5) भविष्य के प्रति कवि क्यों आशंकित है?

उत्तर: – कवि को यह आशंका है कि यदि कभी प्रिया से उसे अलग रहना पड़ा तो वह अकेला जी नहीं पाएगा। इसी कारण वह भविष्य के प्रति आशंकित है।

(6) कवि की आत्मा कैसी हो गई है तथा क्यों?

उत्तर: – कवि की आत्मा अत्यंत कमजोर हो गई है क्योंकि प्रिया के अत्याधिक स्नेह के कारण वह पराजित हो गया है।

(7) जिसे कवि ने सहर्ष स्वीकारा था ऐसे ही क्यों भूल जाना चाहता है?

उत्तर: – कवि अपनी प्रिया से वियोग का दंड पाना चाहता है क्योंकि प्रिया की ममता व कोमलता पाकर उसकी आत्मा कमजोर हो गई है। अतः वह उसे भूल जाना चाहता है।

(8) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?

उत्तर: – कवि अपने प्रिया के स्नेह से दूर अकेले एकांकी जीवन की निराशा व वीरह – वेदना को सहन करना चाहता है। इस स्थिति को वह अमावस्या कहता है।

(9) ‘मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हूं’ – यह कहने के लिए कवि ने क्या युक्ति अपनाई।

उत्तर: – कवि अपनी प्रेयसी को भूलने के लिए दक्षिण ध्रुवा के अनंत अंधकार में डूब जाना चाहता है।

(10) आशय स्पष्ट कीजिए- यह उजाला अब सहा नहीं जाता है।

उत्तर: -इसका अर्थ है कि कवि की प्रियतमा स्नेह रूपी उजाले को सहन नहीं कर पा रहा क्योंकि वह आत्मनिर्भरता के भाव को होता जा रहा है।

4. सप्रसंग व्याख्या कीजिये [Para 4]

सचमुच मुझे दण्ड दो कि

हो जाऊँ पाताली

अँधेरे की गुहाओं में विवरों में धुएँ के बाद्लों में बिलकुल मैं लापता!!

लापता कि वहाँ भी तो तुम्हारा ही सहारा है!!

इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है या मेरा जो होता-सा लगता है,

होता सा संभव है सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है,

कार्यों का वैभव है अब तक तो ज़िन्दगी में जो कुछ था, .

जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है ।

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ – 2 मैं संकलित कविता सहर्ष स्वीकारा है से उद्धृत है, इसके रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध है इस कविता में, कवि ने जीवन में दुख – सुख, संघर्ष अवसाद, उठा – पटक इसका सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:- कवि कहता है कि मैं प्रिया के स्नेह से दूर होना चाहता हूं। वह इसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रिया के ना होने से वह पाताल की अंधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुए के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो प्रिया के ना होने से बना हो। ऐसी जगहों पर भी उसे प्रिया का ही सहारा है।

उसके जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ उसे अपना सा लगता है, वह सब प्रिया के कारण है। उसकी सत्ता, स्थितियां, भविष्य की उन्नति में या अवनति की सभी संभावनाएं प्रियतमा के कारण है कवि का हर्ष – विषाद, उन्नति – अवनति सदा उससे जुड़ी रही है। कवि हर सुख-दुख सफलता – असफलता को प्रशांता पूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वह कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

विशेष: –

(1) अपने व्यक्तित्व के निर्माण में प्रिय के योगदान को स्वीकार किया गया है

(2) ‘पताली अंधेरे’ व ‘धुएँ के बादल’ उपमान विस्मृति

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1. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है  हरिवंश राय बच्चन

2. कविता के बहाने – कुंवर नारायण

3. कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय

4. सहर्ष स्वीकारा – गजानन माधव मुक्तिबोध

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers [Part 4]

(क) कवि दंड पाने की इच्छा क्यो करता है।

उत्तरः- कवि अपने प्रिय के बिना अकेला रहना सीखना चाहता है।अत्याधिक स्नेह मे कवि को भीतर से कमजोर बना दिया है। अंतः वह दंड पाना चाहता है।

(ख) कवि दंड स्वरूप कहाँ जाना चाहता है तथा क्यो?

उत्तरः- दंड स्वरूप कवि गहन अंधकार वाली गुफाओं सुरंगो या धुएँ के बादलों में छिप जाना चाहता है इससे वह प्रिया से दूर रह पाएगा और अकेला रहना सीख सकेगा।

(ग) प्रिय के बारे में कवि क्या अनुभव करता है?

उत्तर: – कवि को अपने प्रिया के बारे में या अनुभव होता है कि उसके जीवन की हर गतिविधि पर उसका प्रभाव है। उसके जीवन में जो कुछ होने वाला है उन सव पर प्रिय की अदृश्म छाया है।

(घ) कवि को जीवन की हर दशा में सहर्ष क्यों स्वीकार है।

उत्तरः- कवि को जीवन की हर दशा स्वीकार है क्योंकि उसके प्रिया को यह सभी अच्छी लगती है। उसे अस्वीकार करना कवि के लिए संभव नहीं था।

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers

काव्य सौंदर्यबोध संबंधी प्रश्न

1. गरबिली गरीबी………..मौलिक है

(क) ‘ गरीबी’ के लिए ‘गर्विली’ विशेषण के प्रयोग से कवि का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: – कवि ने ‘गरीबी’ के लिए ‘गर्विली’ विशेषण का प्रयोग किया है। ‘गर्विली’ से तात्पर्य स्वाभिमान से हैं वह गरीबी को महिमामंडित करना चाहता है।

(ख) ‘भीतर की सरिता’ क्या है? मौलिक है। मौलिक है’ के दोहराव से कथन में क्या विशेषता आ गई है?

उत्तर: – इसका अर्थ है – कवि के हृदय की अत्यंत कोमल भावनाएं। कवि के मन में प्रति अनेक भावनाएं उमड़ती रहती है। मौलिक है, मौलिक है’ के दोहराव से कवि अनुभूतिओ के गहनता व्यक्त करता है।

(ग) काव्यांश की भाषा पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।

उत्तर: – कवि ने विशेषणो: – गर्विली, गंभीर आदि विशेषणो का सुंदर प्रयोग है। ‘भीतर की सरिता’ लाक्षणिक प्रयोग है। ‘विचार – वैभव’ में अनुप्रास अलंकार है। तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली में शक्त अभिव्यक्ति है।

2. जाने क्या रिश्ता है, …….. खिलता वह चेहरा है।

उत्तर: – भाव – सौंदर्य: – इन पंक्तियों में कवि के प्रेमी रूप का पता चलता है। वह अपनी प्रिया से असीम प्रेम करता है। वह जितना प्रेम व्यक्त करता है। उतना ही वह बढ़ता जाता है। उसकी प्रेयसी चांद की तरह खूबसूरत है। शिल्प सौंदर्य: – कवि ने साहित्यिक खड़ी बोली का सहज प्रयोग किया है। जितना भी उँड़ेलता हूँ? भर – भर फिर आता है मैं विरोधाभास अलंकार है। जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है’ प्रश्न अलंकार है ‘भर भर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है मुस्काना रात भर में उत्प्रेक्षा अलंकार है। त्यों तुम्हारा मैं अनुप्रास अलंकार है भाषा चित्रात्मक है। मुक्त छंद है।

3. सचमुच मुझे दंड ……. नहीं सहा जाता है।

(क) अमावस्या के लिए प्रयुक्त विशेषणो से काव्यार्थ मे क्या विशेषता है?

उत्तर: – कवि ने ‘अमावस्या’ के लिए ‘दक्षिणी ध्रुवी अंधकार’ विशेषणो के प्रयोग किया है। इससे कवि का अपराध बोध व्यक्त होता है वह दक्षिण ध्रुवा के अंधकार में स्वयं को विलीन करना चाहता है ताकि प्रिया से अलग रह सके।

(ख) ‘मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हूँ’ इस तमन्ना कथन को व्यक्त करने के लिए कवि ने क्या युक्ति अपनाई है?

उत्तर: – कवि ने इस सामान्य कथन को कहने के लिए स्वयं को दक्षिण ध्रुवी अंधकार अमावस्या में लीन करने की बात कही है स्वयं को भूलने के लिए इस युक्ति का प्रयोग करता है।

(ग) काव्यांश के शिल्प – सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: – * कवि ने खड़ी बोली मे सहज अभिव्यक्ति की है। * तत्सम शब्दावली का सुंदर प्रयोग है। * ‘अमावस्या’ अंधकार निराशा के प्रतीक है * ‘दक्षिण ध्रुवी अंधकार – अमावस्या’ रूपक अलंकार है * अनुप्रास अलंकार है।

4. सचमुच मुझे दंड दो ……… तुम्हारा ही सहारा है।

भाव सौंदर्य: – कवि अपनी प्रिया के स्नेह से आच्छादित है वह मानता है। कि दंड पाने के बाद सजा के समय उसे प्रिया का ही सहारा मिलेगा। उसके प्रेम में गहराई है।

शिल्प सौंदर्य: –

(1) कवि ने संबोधन शैली का प्रयोग किया है।

(2) ‘लापता की ………. सहारा है!!’ मैं विरोधाभास अलंकार है।

सहर्ष स्वीकारा

Saharsh Swikara Questions and Answers (Extra Question)

(1). ‘ सहर्ष स्वीकारा है’ –  कविता किसको व क्यों स्वीकारने की प्रेरणा देती है?

उत्तर: – यह कविता मनुष्य को अपनी क्षमता – अक्षमता स्वीकारने की प्रेरणा देती है। मनुष्य को चाहे वह गरीब हो। उसके मौलिक विचार हो आदि सबकुछ स्वीकार करना चाहिए। ये सब उसके प्रेरणा क्रोध द्वारा स्वीकृत है। आदि हमारा प्रिया इनसे प्रसन्न है तो यह हमारे लिए ईश्वरीय देन हो जाता है।

(2). कवि के जीवन में ऐसा क्या – क्या है जिसे उसे सहर्ष स्वीकार है?

उत्तर: – कवि के जीवन के सुख-दुख की अनुभूतियों को सहर्ष स्वीकारा है। उसके पास गर्विली गरीबी है, जीवन के घरे अनुभव है, विचारों का वैभव, भावनाओं की बहती सरिता है, व्यक्तित्व की दृढ़ता है तथा प्रिय का प्रेम है। यह सब उसकी प्रिया को पसंद है, इसलिए उसे यह सब सहर्ष स्वीकार है।

(3). मुक्तिबोध की कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने किसे सहर्ष स्वीकारा था? आगे चलकर वह उसी को क्यों भूलना चाहता था?

उत्तर: – कवि ने अपने जीवन में सुखद – दुखद कटु, मधुर, व्यक्तित्व की दृढ़ता व मीठे – तीखे अनुभव आदि को सहर्ष स्वीकारा है क्योंकि वह इन सबको अपने प्रिय को सारा जुड़ा पाता है। कवि का जीवन प्रियसी के स्नेह से आच्छादित है। वह आतशय भावुकता व संवेदनशीलता से तंग आ चुका है। इससे छुटकारा पाने के लिए वह विस्मृति के अंधकार में खो जाना चाहता है।

(4). सहर्ष स्वीकारा है’ के कवि ने जिस चाँदनी को सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग – अंग में अमावस्या की चाह क्यों कर रहा है?

उत्तर: – कवि प्रिय के अतिशय स्नेह, भावुकता के कारण परेशान हो गया। वह अकेले जीना चाहता है ताकि मुसीबत आने पर उसका सामना कर सके। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। यह सभी हो सकता है, जब वह प्रिया के स्नेह से मुक्ति पा सके। इसलिए वह अपने अंग – अंग में अमावस्या की चाह कर रहा है ताकि प्रिया के स्नेह को भूल सके।

(6). कवि के हृदय में वह क्या वस्तु है उसे पिराती है?

उत्तर: – कवि के हृदय में ममता के बादलों की मंडराती कोमलता उसे पिराती है।

(7). क्या चीज कवि को डराती है?

उत्तर: – भक्तिव्यता उसे डराती है।

(8). कवि क्या बर्दाश्त नहीं कर पाता?

उत्तर: – कवि प्रिया की आत्मीयता को बर्दाश्त नहीं कर पाता।

(9). उन पंक्तियों का चयन कीजिए जिनमें कवि ने अपने हृदय की समस्त मिठास और रस – स्रोत को प्रेयसी के सौंदर्य भाव का ही परिणाम बताया है?

उत्तर: ये पंक्तियां है- दिल में क्या झरना है मीठा पानी का स्रोत है। भितर वह, ऊपर तुम मुस्काता चांद त्यों धरती पर रात – भर मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

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