शैली और शैलीविज्ञान |IGNOU MHD – 07 Free Solved Assignment

शैली और शैलीविज्ञान

उत्तर : शैली :

मनुष्य सृजनशील प्राणी है । वह विभिन्न स्थितियों  और उद्देश्यों से विभिन्न प्रकार से भाषा का प्रयोग करता है । इस प्रकार मनुष्य की भाषा में जो विविधताएं पाई जाती हैं उन्हें भाषा की शैलियाँ  कहा जाता है । यद्यपि ये भाषा-भेद, एक-दूसरे से भिन्न है, किंतु अलग-अलग उद्देश्यों, संदर्भो और स्थितियों में अभिव्यक्ति की अलग-अलग रीति होने के कारण ये शैली कहलाते हैं ।

शैलीविज्ञान :

शैलीविज्ञान मे साहित्य का मुख्य प्रकार्य  उसकी साहित्यिकता या काव्यात्मकता है । साहित्य  सौंदर्य और भाषा के बीच निहित रहता है । इसमें सौंदर्य आधेय हैं और भाषा आधार । इसका गुण काव्यात्मकता और सर्जनात्मकता है उस गुण का प्रतिफलन शैली है । इस दृष्टि से साहित्य अनुभूतिजन्य  संरचना है, जिसके सर्जनात्मक और कलात्मक प्रयोगों का अध्ययन शैलीविज्ञान करता है।

शैलीविज्ञान काव्य का विश्लेषण न तो कवि या पाठक की दृष्टि से करता है और न ही समाजशास्त्रीय या दार्शनिक या मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि में । वह तो काव्यात्मकता और सर्जनात्मकता का केंद्र बिंदु कृति  को ही मानता है । इस प्रकार शैलीविज्ञान आलोचना की वह भाषापरक प्रणाली है जो दर्शन के साथ-साथ विज्ञान भी हैं ।

शैलीविज्ञान की विशेषताएं :

(i) शैलीविज्ञान वह आलोचना प्रणाली है जिससे साहित्यिक कृति की समझदारी को विकसित और व्यवस्थित किया जाता है ।

(ii) शैलीविज्ञान साहित्य को भाषिक कला की श्रेणी में रखता है जिसके एक ओर कला है तो दूसरी ओर भाषा । भाषा के बिना साहित्य की रचना नहीं हो पाती वास्तव में भाषा के गर्भ से ही साहित्य का सृजन होता है ।

(iii) भाषा का सर्जनात्मक प्रयोग शैली है जिसके अंतर्गत कलात्मक सौंदर्य और भाषिक संरचना अंतर्निहित रहते हैं।

(iv) शैली को एक विलक्षण और विशिष्ट पद्धति माना गया है  जिसमें जातिगत और व्यक्तिगत विशिष्टताओं का, प्राचीनता और नवीनता का, स्थायित्व और परिवर्तन का विचित्र संयोजन है । और इससे सरलतास्पष्टता, प्रभावोत्पादकतालयात्मकता आदि का प्रादुर्भाव होता है ।

(v) शैली विचारों के आवरण के रूप में अभिव्यक्ति के साथ एक अतिरिक्त तत्व जुड़ा हुआ है, यही शैली है ।शैली लिखने में कोई पद्धति मात्र ही है । वरन् वह तो कथ्य और अभिव्यक्ति रूप और वस्तु का कलात्मक संबंध है ।

(vi) शैली अलंकरण के रूप में शैली भाषा व्यंजक और तत्वों के संयोजन से बनती है ।

(vii) शैली व्यक्ति वैशिष्ट्य के रूप में “शैली ही व्यक्ति  है” ।

(viii) शैली वाक्योपरि भाषायी विशेषताओं के समुच्चय  के रूप में यह वाक्योपरि संरचना है, जिसमें दो या दो से अधिक वाक्यों का परस्पर संयोजन होता हैं ।

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