कारक और कारक के भेद | Karak aur Karak Ke Bhed

कारक और कारक के भेद , Karak aur Karak Ke Bhed

हिंदी व्याकरण

Table of Contents

(1) कारक किसे कहते हैं?

उत्तर: कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संज्ञा या सर्वनाम का संबंध सूचित हो, उसे ‘कारक’ कहते हैं।

अथवा, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं ।

(2) कारक के कितने भेद होते हैं? उदाहरण सहित लिखें

उत्तर: ‘कारक’ के आठ भेद होते हैं ।

कारक विभक्तियाँ पहचान
(i)  कर्ता ने किसने, कौन
(ii)  कर्म को क्या, किसको, कहाँ
(iii) करण से, के द्वारा किससे, किसके द्वारा
(iv) संप्रदान को, के लिए किसके लिए,  किसको
(v) अपादान से (अलग होना) कहाँ से
(vi) संबंध का, की, के, रा, री, रे किसका,  किसके, किसकी
(vii) अधिकरण में,  पर किसमें, किस पर, कहाँ
(viii) संबोधन हे, अरे, अजी, अहो

(3) कर्ता कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए

उत्तर: कर्ता कारक: किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के करने वाले (कर्ता) का बोध हो, उसे ‘कर्ता’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

शब्द के जिस रुप से कार्य करने का बोध हो, वह ‘कर्ता’ कारक कहलाता है । ‘कर्ता’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘ने’ है ।

जैसे:

(क)  राधा ने गीत गाया ।

(ख) किशन गीत गाता है ।

(ग) छात्र पढ़ाई कर रहे हैं ।

(4) कर्म कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए

उत्तर: कर्म कारक: किसी वाक्य में क्रिया का प्रभाव जिस संज्ञा या सर्वनाम पर पड़ता हो, उसे ‘कर्म’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

वाक्य में शब्द के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़े, उसे ‘कर्म’ कारक कहते हैं । ‘कर्म’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ है ।

जैसे:

(क) राम ने गेंद को फेंकी ।

(ख) मां ने बच्चे को सुलाया ।

(ग) मैंने हरि को बुलाया ।

(5) करण कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए

उत्तर: करण कारक: किसी क्रिया को करने के लिए जिस साधन का प्रयोग होता है, उसे ‘करण’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

कर्ता जिस साधन या माध्यम से कार्य करता है, उस साधन या माध्यम को ‘करण’ कारक कहते हैं । ‘करण’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘से’  ‘के द्वारा’ है ।

जैसे:

(क) मोहन ने कुल्हाड़ी से पेड़ काटा  ।

(ख) मामा जी कार से मुंबई गए ।

(ग) मजदूर ने फावड़े से मिट्टी खोदी ।

(6) सम्प्रदान कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण  दीजिए।

उत्तर: सम्प्रदान कारक: कर्ता कारक जिसके लिए या जिस उद्देश्य के लिए क्रिया का सम्पादन करता है, उसे  ‘सम्प्रदान’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

क्रिया जिसके लिए की जाए, या जिसको कुछ दिया जाए, इसका बोध कराने वाले शब्द के रूप को ‘सम्प्रदान’ कारक कहते हैं।

‘सम्प्रदान’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ ‘के लिए’ है ।

जैसे:

(क) सबने बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन दिया ।

(ख) माँ के लिए मिठाई लेते आना ।

(ग) मैं रोज भगवान को प्रणाम करता हूँ ।

(7) अपादान कारक किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए

उत्तर: अपादान कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से अलग होने अथवा तुलना करने का बोध हो उसे ‘अपादान’ कारक कहते हैं

अथवा,

वाक्य में जिस स्थान या वस्तु से किसी व्यक्ति या वस्तु की अलग होने अथवा तुलना का बोध होता है उसे ‘अपादान’ कारक कहते हैं । ‘अपादान’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘से’ (अलग होना) है।

जैसे:

(क) गंगा नदी हिमालय से निकलती है

(ख) धनुष से तीर छूटा ।

(ग) समीर पवन से अधिक बुद्धिमान हैं

(8) संबंध कारक किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए

उत्तर: संबंध कारक:   संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी अन्य शब्द के साथ संबंध या लगाव प्रतीत हो, उसे ‘संबंध’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

वाक्य के जिस पद से किसी वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ का दूसरे वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ से संबंध प्रकट हो, उसे ‘संबंध’ कारक कहते हैं । ‘संबंध’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘का’, ‘की’, ‘के’, ‘रा’, ‘री’, ‘रे’   है।

जैसे:

(क) हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव है ।

(ख) गंगा का पुत्र भीष्म बाण चलाने में तेज थे।

(ग) मेनका की पुत्री शकुन्तला भरत की माँ बनी।

(9) अधिकरण कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए

उत्तर: अधिकरण कारक: संज्ञा के जिस रुप से क्रिया के आधार, समय और स्थान आदि का पता चलता है, उसे ‘अधिकरण’ कारक कहते हैं ।

अथवा,

क्रिया या आधार को सूचित करने वाली संज्ञा या सर्वनाम के स्वरूप को ‘अधिकरण’ कारक कहते हैं। ‘अधिकरण’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘में’, ‘पर’  है ।

जैसे:

(क) अध्यापिका कक्षा में पढ़ा रही हैं ।

(ख) चिड़ियाँ पेड़ों पर अपने घोसले बनाती है ।

(ग) बंदर पेड़ पर रहता है ।

(10) संबोधन कारक किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए

उत्तर: संबोधन कारक: जिन संज्ञा शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने के लिए किया जाता है, उन्हें ‘संबोधन’ कारक कहते हैं।

अथवा,

जिस संज्ञा पद से किसी को पुकारने, सावधान करने अथवा संबोधित करने का बोध हो, उसे ‘संबोधन’ कारक कहते हैं । ‘संबोधन’ कारक का विभक्ति चिन्ह ‘हे’, ‘अरे’  हैं ।

जैसे:

(क) हे ईश्वर, इन्हें सद्बुद्धि दो ।

(ख) अरे, यह कौन सी कहानी है ।

(ग) देवियों और सज्जनों! इस गांव में आपका स्वागत है ।

(11) विभक्ति किसे कहते हैं?

उत्तर: विभक्ति: संज्ञा या सर्वनाम का किसी वाक्य में दूसरे शब्दों के साथ संबंध बताने वाले कारक चिह्नों को विभक्ति कहते हैं ।

अथवा,

कारक चिह्न को परसर्ग या विभक्ति चिह्न भी कहते हैं ।

जैसे:

कर्ता (ने), कर्म (को), करण (से, के द्वारा), संप्रदान (को, के लिए), अपादान (से), संबंध (का, के, की, रा, रे, री), अधिकरण (में, पर), संबोधन (हे, अरे, अजी, अहो) के द्वारा ।

(12) विभक्तियों की विशेषताऍं बताइए

उत्तर: विभक्तियों की प्रायोगिक विशेषताऍं:

(i) विभक्तियाँ स्वतन्त्र हैं । इनका अस्तित्व स्वतन्त्र है । क्योंकि इनका काम शब्दों का संबंध दिखाना है, इसलिए इनका अर्थ नहीं होता है । जैसे — ने, से आदि।

(ii) हिंदी की विभक्तियाँ विशेष रूप से सर्वनामों के साथ प्रयुक्त होने पर प्राय: विकार उत्पन्न कर उनसे मिल जाती हैं । जैसे — मेरा, हमारा, उसे, उन्हें आदि ।

(iii) विभक्तियाँ प्रायः संज्ञाओं या सर्वनामों के साथ आती हैं । जैसे — रमेश की दुकान से यह चीज आई है ।

(13) विभक्तियों का प्रयोग कहाँ कहाँ होता है?

उत्तर: हिन्दी व्याकरण में विभक्तियों के प्रयोग की विधि निश्चित है । हिंदी में दो तरह की विभक्तियाँ हैं—

(i) विशिलष्ट और

(ii) संशिलष्ट।

संज्ञाओं के साथ आनेवाली विभक्तियाँ विशिलष्ट होती है, अलग रहती हैं । जैसे — राम ने, वृक्ष पर, लड़कों को, लड़कियों के लिए । सर्वनामों के साथ विभक्तियाँ संशिलष्ट या मिली होती है । जैसे — उसका, किस पर, तुमको, तुम्हें, तेरा, तुम्हारा, उन्हें आदि ।

(14) कर्ता के ‘शुन्य’ चिन्ह का प्रयोग कहाँ होता है ?

उत्तर: ‘कर्ता’ कारक की विभक्ति ‘शून्य’ और ‘ने’ है । बिना विभक्ति के भी कर्ता कारक का प्रयोग होता है । ‘अप्रत्यय कर्ता कारक’ में ‘ने’ का प्रयोग न होने के कारण वाक्य रचना में कोई खास अंतर नहीं होता हैं । कर्ता कारक में जहाँ ‘ने’ चिन्ह लुप्त रहता है, वहाँ कर्ता का शुन्य चिन्ह माना जाता है ।

जैसे — पेड़ पौधे हमें ऑंक्सीजन देते हैं । यहाँ पेड़-पौधे में ‘शुन्य चिन्ह’ हैं ।

(15) कर्ता के ‘ने’ चिन्ह का प्रयोग कहाँ होता है?

उत्तर: कर्ता के ‘ने’ चिन्ह का प्रयोग:

सकर्मक क्रिया रहने पर सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्णभूत, संदिग्ध भूत एवं हेतुहेतुमद् भूत में कर्ता के आगे ‘ने’ चिन्ह का  प्रयोग होता है ।

जैसे–

राम ने रोटी खाई । (सामान्य भूत)

राम ने रोटी खाई है । (आसन्न भूत)

राम ने रोटी खाई थी । (पूर्ण भूत)

राम ने रोटी खाई होगी । (संदिग्ध भूत)

राम ने पुस्तक पढ़ी होती, तो उत्तर ठीक होता ।

(हेतुहेतुमद् भूत)

तात्पर्य यह है कि केवल अपूर्णभूत को छोड़कर शेष पाँच भूतकालों में ‘ने’ का प्रयोग होता है ।

हिंदी व्याकरण नोट्स:

1. संज्ञा और उसके भेद | Sangya aur Usake Bhed

2. सर्वनाम और उसके भेद | Sarvanam aur Usake Bhed

3. विशेषण और उसके भेद | Visheshan Aur Usake Bhed

4. क्रिया और क्रिया के भेद | Kriya aur Kriya ke Bhed

5. Upsarg (उपसर्ग) | उपसर्ग के भेद (Upsarg ke bhed)

6. Sandhi aur Sandhi Vichchhed [संधि और संधि विच्छेद]

7. कारक और कारक के भेद | Karak aur Karak Ke Bhed

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