IGNOU MHD – 01 SOLVED ASSIGNMENT (2021 – 22)
एमएच.डी-01 : | हिंदी काव्य-1 (आदि काव्य, भक्ति काव्य एवं रीति काव्य) |
पाठ्यक्रम कोड : | एमएच.डी-01 |
सत्रीय कार्य कोड : | एमएच डी-01/टीएमए/2021-22 |
कुल अंक : | 100 |
1. निम्नलिखित प्रत्येक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
क) जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मेल करो तलवार का पड़ा रहन दो म्यान ।।
हस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि।।
स्वान-रूप संसार है, मूंकन दे झक मारि।।
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ख) पूछा राजै कहु गुरु सूआ । न जनौं आजु कहाँ दहुँ ऊआ ॥
पौन बास सीतल लेइ आवा । कया दहत चंदनु जनु लावा ॥
कबहुँ न एस जुडान सरीरू । परा अगिनि महँ मलय-समीरू ॥
निकसत आव किरिन-रविरेखा । तिमिर गए निरमल जग देखा ॥
उठै मेघ अस जानहुँ आगे । चमकै बीजु गगन पर लागै ॥
तेहि ऊपर जनु ससि परगासा । औ सो चंद कचपची गरासा ॥
और नखत चहुँ दिसि उजियारे । ठावहिं ठाँव दीप अस बारे ॥
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ग) बिहसि लखनु बोले मृदबानी। अहो मुनीसु महा भटमानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फँकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि डरि जाहीं॥
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहउँ रिस रोकी ॥
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई॥
बधे पापु अपकीरति हारें। मारतहूँ पा परिअ तुम्हारे॥
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा॥
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(घ) झलकै अति सुंदर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छ्वै।
हँसि बोलन मैं छबि फूलन की बरषा, उर ऊपर जाति है ह्वै।
लट लोल कपाल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै।
अंग-अंग तरंग उठै दुति की, परिहै मनौ रूप अबै धर च्वै॥
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2. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए:
क) पृथ्वीराज रासो की भाषा पर प्रकाश डालिए।
ख) विद्यापति पदावली की विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
ग) कबीर की भाषा में निहित व्यंग्य बोध की चर्चा कीजिए।
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3. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए:
क) सूरदास की काव्य भाषा की विशेषताएं बताइए।
ख) मीरा की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
ग) रीति काव्य में घनानंद का क्या महत्व है?