चार्ली चैपलिन यानी हम सब [Charlie Chaplin Yaani Hum Sab – विष्णु खरे] For 2023 Exam

Hindi Notes Class 12

AHSEC – Assam Board

चार्ली चैपलिन यानी हम सब – विष्णु खरे

(Charlie Chaplin Yaani Hum Sab – Vishnu Khare)

In this Article you will get चार्ली चैपलिन यानी हम सब [Charlie Chaplin Yaani Hum Sab] notes for Class 12 Hindi. These चार्ली चैपलिन यानी हम सब [ Charlie Chaplin Yaani Hum Sab questions and answers] notes are useful for Class 12. Also will get chapterwise hindi notes here.

charlie chaplin yaani hum sab

1.चार्ली के जन्मशती का वर्ष महत्वपूर्ण क्यों है? 

उत्तर: – चार्ली के जन्मशती का वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष उनकी पहली फिल्म मेकिंग ए लिविंग के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं वह पाँच पीढ़ियों को मुग्ध कर चुके हैं।

2. भारत में चार्ली की क्या स्थिति है? 

उत्तर: – चार्ली अब समय, भूगोल व संस्कृतियों की सीमाओं को लांघ चुका है। अब यह भारत के लाखों बच्चों को हँसा रहा है। वे उसकी कला को बुढ़ापे तक याद रखेंगे।

3. विकास शील देशों में चैप्लिन की लोकप्रियता का क्या कारण है? 

उत्तर: – विकास शील देशों में टेलीविजन व वीडियो का प्रसार हो रहा है जिसके कारण एक बड़ा व नया दर्शक वर्ग फिल्मी कार्यक्रमों से जुड़ रहा है। वह चार्ली को ‘घड़ी सुधारते’ या जूते खाने की कोशिश करते हुए देख रहा है।

4. चार्ली की फिल्में किस पर टिकी है तथा कैसे?

उत्तर: – चार्ली की फिल्में मानवीय भावनाओं पर टिकी है बुद्धि पर नहीं।

5. चार्ली के फिल्मों के दर्शक कैसे हैं?

उत्तर: – चार्ली के फिल्मों के दर्शक पागलखाने के मरीज, सिरफिरे लोग व आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभा वाले लोग हैं वे सभी चार्ली को पसंद करते हैं।

6. चार्ली के फिल्मों को कौन सा वर्ग नापसंद करता था?

उत्तर: – चार्ली की फिल्मों को वे लोग नापसंद करते हैं जो व्यक्ति, समूह या तंत्र में भेदभाव को नहीं मिटाना चाहते।

7. चार्ली और शासक वर्ग के बीच नाराजगी का क्या कारण है?

उत्तर: – चार्ली आम आदमी की कमजोरियों के साथ-साथ शासक वर्ग की कमजोरियों को भी जनता के सामने प्रकट कर देता है। शासक या तंत्र नहीं चाहता कि जनता उन पर हँसे। इस कारण दोनों में तनातनी रहती थी।

8. चार्ली का बचपन कैसा बीता? 

उत्तर: – चार्ली का बचपन अत्यंत कष्टों में बिता। वह साधारण स्टेज अभिनेत्री का बेटा था। जिसे पति ने छोड़ दिया था उसे गरीबी व माँ के पागलपन से संघर्ष करना पड़ा। उसे पूंजीपतियों व सामंतो द्वारा दुत्कार आ गया।

9. चार्ली के घुमंतू बनने का क्या कारण था?

उत्तर: – चार्ली की नानी खानाबदोश थी। वह बचपन से ही बेसहारा रहा। मां के पागलपन, समाज के दुत्कार के कारण उसे कभी संस्कार नहीं मिले। इस कारण जटिल परिस्थितियों से उसे घुमंतू बना दिया। 

10. चार्ली चैपलिन के जीवन में भारतीयता के संस्कार थे – कैसे? 

उत्तर: – चार्ली चैप्लिन की नानी खानाबदोश कभी भारत से ही यूरोप में गए थे तथा जिप्सी कहलाए थे। चार्ली ने भी घुमंतूओ जैसे जीवन जिया तथा फिल्मों में उसे प्रस्तुत किया। इस कारण उसके जीवन में भारतीयता के संस्कार मिलते हैं। 

11. चार्ली के बारे में समीक्षकों को क्या मानना पड़ा?  

उत्तर: – चार्ली के बारे में फिल्म समीक्षकों, फिल्म कला के विशेषज्ञों तथा मानविकी के विद्वानो ने गहन शोध किया, परंतु उन्हें यह मानना पड़ा कि चार्ली पर कुछ नया लिखना बेहद कठिन है। 

12. कला व सिद्धांत के बारे में क्या बताया गया है? 

उत्तर: – कला व सिद्धांत के बारे में बताया गया है कि सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, अपितु कला स्वयं अपने सिद्धांत को या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।

13. समीक्षक चार्ली का विश्लेषण कैसे करते हैं? 

उत्तर:- समीक्षक चार्ली का समय व भूगोल से काटकर देखते हैं। वे उसे एक निश्चित दायरे में देखते हैं जबकि चार्ली समय व भूगोल की सीमा से परे है। उसका संदेश सार्वभौमिक है तथा वह सदैव एक जैसा लगता है। 

14. चार्ली के बारे में दर्शक क्या सोचते हैं? 

उत्तर:- चार्ली को देखकर लोग स्वयं में चार्ली देखते हैं या वह होने जाना पहचाना लगता है। उसकी हरकतें उन्हें अपनी या आसपास के लोगों जैसी लगती है। 

15. भारतीय कलाओं में करुणा व हास्य किन पर व्यक्त की जाती है? 

उत्तर: – भारतीय कलाओं में हास्य अधिकतर दूसरों पर होता है तथा वह अधिकतर दूसरे को कष्ट देने पर आधारित है। करुणा अक्सर शब्द सद्व्यक्तियों के लिए है तथा कभी-कभी दुष्टों के प्रति भी करुणा व्यक्त करने का भी विधान है। 

16. विदूषक कौन है? उसकी क्या सीमाएं हैं? 

उत्तर: – विदूषक संस्कृत नाटकों में एक पात्र होता है जो राज व्यक्तियों के साथ कुछ बदतमीजीयाँ करता है। वे स्वयं पर कभी नहीं हँसते। उनमे करुणा और हास्य का सामंजस्य करने की क्षमता नहीं है। 

AHSEC Class 12 Chapterwise Hindi नॉट्स के लिए निचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे:

1. दिन जल्दी – जल्दी ढलता है  हरिवंश राय बच्चन

2. कविता के बहाने – कुंवर नारायण

3. कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय

4. सहर्ष स्वीकारा – गजानन माधव मुक्तिबोध

5. उषा – कवि शमशेर बहादुर सिंह

6. कवितावली – तुलसीदास

7. रुबाइयाँ – फ़िराक़ गोरखपुरी

8. छोटा मेरा खेत – उमाशंकर जोशी

9. बाजार दर्शन – जैनेंद्र कुमार

10. काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती

11. चार्ली चैपलिन यानी हम सब – विष्णु खरे

12. नमक – रजिया सज्जाद जाहिर

13. शिरीष के फूल – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

17. राजकपूर ने क्या साहसिक प्रयोग किया? 

उत्तर: – राज कपूर ने चार्ली के हास्य व करुणा के सामंजस्य के सिद्धांत को भारतीय फिल्मों में उतारा उन्होंने ‘आवारा’ फिल्म बनाई जो ‘दी ट्रेंप’ पर आधारित थी। उन पर चैप्लिन की नकल करने के आरोप भी लगे। 

18. राजकपूर ने किससे प्रभावित होकर कौन-कौन सी फिल्में बनाई? 

उत्तर: – राज कपूर ने चार्ली चैपलिन की कला से प्रभावित होकर आवारा, श्री 420 जैसी फिल्में बनाई जिसमें नायकों का स्वयं पर हँसता दिखाया गया है।

19. कौन-कौन से भारतीय नायकों ने अपने अभिनय में परिवर्तन किया? 

उत्तर: – राजकपूर, दिलीपकुमार, देवानंद, शम्मीकपूर अमिताभ बच्चन व श्रीदेवी जैसे कलाकारों ने चार्ली चैपलिन के प्रभाव से अपने अभिनय में परिवर्तन किया। 

20. महाभारत के किस प्रसंग को बताया गया है? 

उत्तर: – महाभारत में अर्जुन की वृद्धावस्था का वर्णन है जब वह दिवंगत मित्र कृष्ण की पत्नियों को डाकुओं से नहीं बचा सके तथा हवा में तीर चलाते रहे। यह हास्य व करुणा का प्रसंग है, परंतु इसे सिर्फ त्रासद व्याख्या भी माना गया है।

21. चार्ली की फिल्मों को मानवीय क्यों होना पड़ा? 

उत्तर: – चार्ली की फिल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं किया गया।अतः उनमें मानव की क्रियाओं को सहजता व स्वाभाविकता से दिखाया गया ताकि दर्शक उन्हें शीघ्र समझ सके। इसलिए चार्ली की फिल्मों को माननीय होना पड़ा। 

22. चार्ली चैपलिन की सर्वभौमिकता का क्या कारण है?

उत्तर: – चार्ली चैप्लिन की कला की सार्वभौमिकता के कारणों की जाँच अभी होनी है, परंतु कुछ कारण स्पष्ट है। वे सदैव युवा जैसे दिखते हैं तथा दूसरे को अपने लगते हैं। 

23. चार्ली की फिल्मों की विशेषता क्या है? 

उत्तर: – चार्ली की फिल्मों की निम्नलिखित विशेषताएं है: –

1. इसमें भाषा का प्रयोग बहुत कम है।

2. इनमें मानवीय स्वरूप अधिक है। 

3. चार्ली में सर्वभौमिकता है।

4. वह सदैव चिरयुवा या बच्चे जैसा दिखता है। 

5. वह किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगता। 

6. वह सबको अपना स्वरूप लगता है। 

24. चार्ली के कारनामे हमें ‘मैं’ ना लगकर ‘हम’ क्यों लगता हैं?

उत्तर: – चार्ली के कारनामे इतने अधिक थे कि वे किसी एक पात्र की कहानी नहीं हो सकते। उनके संदर्भ बहुत विस्तृत होते थे। वे हर मनुष्य के आसपास के जीवन को व्यक्त करते हैं।

25. अपने पर हँसने के संदर्भ में लोक – संस्कृति एवं नगर – सभ्यता में मूल अंतर क्या था और क्यों? 

उत्तर: – अपने पर हँसने की परंपरा लोक – संस्कृति में है, परंतु नगर – सभ्यता में नहीं है। 

26. ‘अंग्रेजों जैसे व्यक्तियों’ वाक्यांश में निहित व्यंग्यार्थ को स्पष्ट कीजिए? 

उत्तर: – इस वाक्यांश में यह व्यंग्य झलकता है कि अंग्रेज सत्ताधारी, गर्वीले वे घमंड में चूर रहते हैं। चार्ली उनका मजाक उड़ाना था जो भारत में काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि उस समय भारत गुलाम था। 

27. चार्ली जीन दशाओं में अपने पर हँसता है। उन दशाओं में ऐसा करना अन्य व्यक्तियों के लिए संभव क्यों नहीं है?

उत्तर: – चार्ली अंग्रेजों की गर्वोनमता, अमीरी, श्रेष्ठता पर हँसता है, जबकि अन्य व्यक्ति उन पर नहीं हँस सकता क्योंकि उनमें वज्र जैसी कठोरता या फूल जैसी कोमलता बनने की क्षमता नहीं होती।  

28. चार्ली की टिली का क्या अभिप्राय है? 

उत्तर: – इसका अर्थ है – चार्ली के कारनामों की नकल। चार्ली के करनामें व प्रेम अंत में असफल हो जाते हैं, उसी तरह आम आदमी के रोमांस भी फुस्स हो जाते हैं। 

29. हमारा चेहरा कब चार्ली – चार्ली हो जाता है? 

उत्तर: – जब हम सत्ता, शक्ति, बुद्धिमता, प्रेम और पैसे के चरमोतकर्षो में आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली – चार्ली हो जाता है।

30. चार्ली के चरित्र में कैसी घटनाएं हो जाती है? 

उत्तर: – चार्ली के चरित्र में उनके ऐसी घटनाएं होती है कि वे सफलता के नजदीक पहुंचने वाले होते हैं तो एकदम असफल हो जाते हैं। कभी लाचार होते हुए भी जीत सकते हैं तो कभी वीरता के क्षण में पलायनवादी हो सकते हैं। उनके चरित्र में एकदम परिवर्तन हो जाता है।

31. चार्ली किस प्रकार के व्यक्तित्व का प्रतीक है? 

उत्तर: – चार्ली उस असफल व्यक्ति का प्रतीक है जो सफलता पाने के लिए बहुत परिश्रम करता है, कभी-कभी वह सफल भी हो जाता है, परंतु अक्सर वह निरीह व तुच्छ प्राणी ही रहता है।

32. चार्ली चैप्लिन दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को कैसे तोड़ा है? 

उत्तर:- चार्ली की फिल्में बच्चे – बूढ़े, जवान, व्यस्को सभी में समान रूप से लोकप्रिय है। यह चैप्लिन का चमत्कार ही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभावाले व्यक्ति तक एक स्तर पर कहीं अधिक सूक्ष्म रसास्वाद के साथ देख सकते हैं इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ग में लोकप्रिय इस कलाकार ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। कहीं – कहीं तो भौगोलिक सीमा, भाषा आदि के बंधनों को भी पार करने के कारण इन्हें सर्वभोमिक कलाकार कहा गया है।

33.चार्ली चैपलिन कौन था? उसके ‘भारतीयकरण’ से लेखक का क्या आशय है? 

उत्तर: – चार्ली चैप्लिन पश्चिम का महान कलाकार या जिसने हास्य मूक फिल्में बनाई। उसकी फिल्मों में हास्य करुणा में बदल जाता था। भारतीय रस सिद्धांत में इस तरह का परिवर्तन नहीं पाया जाता। यहाँ फिल्म अभिनेता स्वयं पर नहीं हँसता। राजकपूर ने ‘आवारा’ फिल्म को ‘दी टेंप’ के आधार पर बनाया। इसके बाद श्री 420 फिल्म व कई अन्य कलाकारों ने चार्ली का अनुकरण किया। 

34. चार्ली की कौन – सी अदा सबके लिए सुपरिचित है?

उत्तर: – चार्ली की सबसे सुपरिचित अदा है कि वह हर दसवें सेकंड में स्वयं को खतरे में डाल लेता है।

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